Wednesday, 21 January 2015

बस एक और सवाल

क्या तुम्हारे पास
कोइ कागज़ है
जिसपर मैं ऐसा चाँद बना सकूं
जो डूबते हुए सूरज से चिपककर
ज़मीन को
उल्टा करके देखने पर
उगते हुए सूरज की भान्ति लगे
और जिसे मैं मोड़कर
तुम्हारी ही जेब में रख दू
और फिर रात को तुम
उसकी सिलवटों पर इस्तरी कर के
उसे अपने बरामदे में रख सको
ताकि तुम्हारे कपड़े सूख जाए?

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